तेरहवाँ दिन.. षड्यंत्र के माहिर कौरवों ने पुनः चक्रव्यूह की रचना की. कौरवों को रचनात्मकता के नाम पर उन्हें कुछ भी पता था तो वह था षड्यंत्र और चक्रव्यूह की
तेरहवाँ दिन.. षड्यंत्र के माहिर कौरवों ने पुनः चक्रव्यूह की रचना की. कौरवों को रचनात्मकता के नाम पर उन्हें कुछ भी पता था तो वह था षड्यंत्र और चक्रव्यूह की
अर्जुन ने भ्राताश्री युधिष्ठिर को प्रणाम किया और तपस्या करने के लिए विदा ली. उन्होंने एक स्थान पर बैठकर विकट तपस्या की. धीरे-धीरे उन्होंने भोजन त्याग दिया. उनकी तपस्या से
श्रीराम, माता सीता और लक्ष्मण जी निषादराज से विदा ली. चलते-चलते वे गंगा किनारे पहुँचे. आस-पास देखा तो एक मैदान में बच्चे क्रिकेट खेल रहे थे. दूर रेत में ढेर
“याचना नहीं अब रण होगा” कहकर केशव जा चुके हैं. पांडव और कौरव, दोनों ओर से युद्ध की तैयारियाँ आरंभ हो चुकी हैं. दुर्योधन ने अधिकतर राजाओं को अपनी ओर
महाभारत को कुछ दिन ही रह गए हैं. दुर्योधन श्रीकृष्ण से सहायता माँगने द्वारका जा पहुँचा है. उधर जैसे ही पत्रकारों को ख़बर मिली उन्होंने ठान लिया कि ये श्रीकृष्ण
हस्तिनापुर राजदरबार की बैठक चल रही है. उपस्थित हैं; महाराज धृतराष्ट्र, पितामह, महामंत्री विदुर, कृपाचार्य, द्रोणाचार्य, युवराज दुर्योधन, उप युवराज दुशासन, शकुनि और संजय. महाराज धृतराष्ट्र सिंहासन के दोनों हत्थों
महाभारत का तेरहवाँ दिन; दुशासन, जयद्रथ और दुशासन-पुत्र द्रुमसेना ने अभिमन्यु को मारा. ……………… महाभारत का चौदहवाँ दिन; भीम ने द्रुमसेना को मार डाला. पंद्रहवें दिन संध्या बेला दिन का
राष्ट्र हृदय जब चीख़ रहा हो,अश्रु नयन भर दीख रहा हो,एक प्रश्न तब हर मन पूछे, कहाँ जगह हो खड्ग-ढाल की? क़ीमत क्या हो शांतिकाल की? लहू बह रहा जब
नरोत्तम कालसखा बहुत बड़े मानवाधिकार कार्यकर्ता हैं. बड़े से मेरा मतलब काफी लम्बे हैं. कह सकते हैं ये मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के शिरोमणि हैं. कुछ लोग इन्हें अर्बन नक्सल कहकर बदनाम
तेज़ वर्षा वाली रात में कंश का कारागार। श्रीकृष्ण का जन्म हो चुका है। वासुदेव उन्हें टोकरी में रखकर गोकुल जाने के लिए तैयार हैं। माता देवकी अनिष्ट की आशंका