बदलते जमाने के साथ हमें भी बदलना चाहिए, यही समय की रीत है. कलि प्रथम चरण में ताबड़तोड़ ऐसे एसे बदलाव हुए कि लोग हैरान-परेशान सोचते रहे और आसपास द्रुत
बदलते जमाने के साथ हमें भी बदलना चाहिए, यही समय की रीत है. कलि प्रथम चरण में ताबड़तोड़ ऐसे एसे बदलाव हुए कि लोग हैरान-परेशान सोचते रहे और आसपास द्रुत
छह महीने भी नहीं हुए थे नई बहू को, घर की हर बात उसे समझ आ गयी थी. धीरे धीरे घर में होने वाले हर निर्णय में उसकी राय भी ली
परीक्षा का समय आ चुका है. विद्यार्थी अपने अपने जुगाड़ और ट्रिक्स के प्रयोग में जुट चुके हैं. साल भर की मौज मस्ती पर फ़िलहाल कुछ दिनों का विराम और
“कै गो अमदी है?” – रिक्शेवाले ने पूछा! “अमदी”? – आँखो में प्रशनचिन्ह लिए अपने दोस्त की ओर देखा! मेरा मित्र जो बगल मे खड़ा था, उसने कहा “अरे ये