कोलम्बो में हुआ आतंकी हमला सभी की ज़ुबान पर है. रविवार को हुए आठ बम धमाकों से पड़ोसी देश दहल गया. धमाकों में हुई मौतों का आंकड़ा 215 पहुंच गया है, जबकि 500 से ज्यादा लोग घायल हो गये. मरने वालों में 35 विदेशी लोग भी शामिल हैं.
हमला ईस्टर के दिन चर्च में प्रार्थना कर रहे लोगों पे हुआ हमले में अभी तक किसी भारतीय के घायल होने या मरने के बारे में कोई जानकारी नहीं मिली है. अब तक किसी आतंकी संगठन या समूह ने इन हमलों की जिम्मेदारी नहीं ली है. लेकिन विदेशी मीडिया में नैशनल तोहिथ जमात (Thawheed Jamaat) का नाम लिया जा रहा है, जो कि एक इस्लामिक चरमपंथी संगठन है और इसका एक धड़ा तमिलनाडु में भी सक्रिय है.
श्री लंका के प्रधानमंत्री रनिल विक्रमसिंघे ने रविवार को मीडिया के सामने यह बात मानी कि उन्हें 10 दिन पहले से जानकारी थी पर वह हमले को रोकने के लिए उचित क़दम नहीं उठा पाए. उच्च ख़ूफ़िया एजेंसियों के हिसाब से ज़हरन हासिम -नेशनल तौवहीद जमात ने सरी लंका में आत्मघाती हमला करने की साज़िश रची थी. इसके तहत उन्होंने 8 जगहों का चयन किया था. जिसमें चर्च और होटल दोनो शामिल थे. ध्यान देने वाली बात होगी कि इन जगहों पर भारतीयों की तादाद सबसे ज़्यादा होती है. नई दिल्ली ने कोलम्बो के साथ यह जानकारी 4 अप्रैल को साझा की थी.
इस पर कार्रवाही करते हुए श्री लंका के पुलिस प्रमुख ने 10 दिन पहले ही अलर्ट जारी किया था. प्रधानमंत्री विक्रमसिंघे ने यह भी कहा कि आतंकवादियों को बाहरी मदद मिली थी या नहीं इस बात का पता लगाने के लिए उन्हें दूसरे देशों की सहायता की ज़रूरत है. हालाँकि उन्हें जो जानकारी मिली है उसके हिसाब से आतंकी स्थानीय ही थे.
इस सिलसिले में 13 लोगों को गिरफ़्तार किया जा चुका है. एक ख़ास कमिटी बनाई गई है इस मामले की जाँच करने के लिए. कमिटी को दो हफ़्तों के अंदर अंदर रिपोर्ट देनी है.