भगवान श्रीराम, केवट और मिनमम इंकम गारंटी स्कीम

श्रीराम, माता सीता और लक्ष्मण जी निषादराज से विदा ली. चलते-चलते वे गंगा किनारे पहुँचे. आस-पास देखा तो एक मैदान में बच्चे क्रिकेट खेल रहे थे. दूर रेत में ढेर सारा तरबूज़ रखा हुआ था. परंतु घाट पर केवट जी उपस्थित नहीं थे.

लक्ष्मण जी ने चारों ओर देखा और डीप एक्स्ट्रा कवर पर फ़ील्डिंग कर रहे एक बच्चे को आवाज़ लगाई. पहली बार में बच्चे ने ध्यान नहीं दिया. लगभग चौथी बार पुकारने पर बच्चा चलकर लक्ष्मण जी के पास आया.

उसे देखकर श्रीराम बोले; “वत्स, यहाँ केवट जी की नाव तो है परंतु वे दिखाई नहीं दे रहे? क्या दोपहर के भोजन के पश्चात घर से नहीं आए?”

बच्चा बोला; “नहीं आते अब”

श्रीराम ने पूछा; “नहीं आते से क्या तात्पर्य वत्स? अभी कहाँ हैं वे?”

बच्चा बोला; “तीन दिन से तो आए नहीं. अभी ताश खेल रहे होंगे बगैचा में”

श्रीराम बोले; “वत्स, जाओ और उनसे कहो कि अयोध्या से राम, सीता और लक्ष्मण आए हैं और उन्हें आज ही गंगा पार जाना है”

बच्चा गया और थोड़ी देर बाद केवट जी पधारे. उन्होंने श्रीराम, माता सीता और लक्ष्मण जी को प्रणाम किया.

श्रीराम ने उनसे कहा; “आपसे सविनय निवेदन है कि संध्या होने से पूर्व हमें उस पार शिवकुटी उतार दें जिससे हम सूर्य डूबने से पूर्व वहाँ पूजा अर्चना करके आगे बढ़ पाएँ”

केवट जी हाथ जोड़कर बोले; “हे प्रभु, आपे कदाचित हमारी नाव पर लगा FOR SALE का बोर्ड नहीं देखा. अब हम केवटगण नाव खेने का काम नहीं करते”

श्रीराम ने आश्चर्यचकित होते हुए कहा; “नाव खेने का काम नहीं करते? तब आप सब का जीवनयापन कैसे होता है?”

केवट जी बोले; “प्रभु ने कदाचित मिनिमम इंकम स्कीम के बारे में नहीं सुना. हे प्रभु, यदि बिना मेहनत किए हमें पैसे मिलें तो हम उतने नादान तो नहीं कि जीवनयापन के लिए मेहनत करेंगे. हम नादान नहीं हैं इसलिए अब हम केवट नाव नहीं खेते. हम सब अब प्रतीक्षा करते हैं और प्रतीक्षा के क्षण ताश खेलकर काटते हैं.”

श्रीराम के माथे पर चिंता के बल पड़ गए. वे बोले; “प्रतीक्षा करते हैं? किसकी प्रतीक्षा करते हैं आपसब?”

केवट जी बोले; “राहुल गांधी के प्रधानमंत्री बनने की प्रतीक्षा”

आकाश मार्ग से देबर्षि नारद चले जा रहे थे. केवट-श्रीराम संवाद सुनकर बोले; “नारायण नारायण. प्रभु की महिमा अपरंपार है”

श्रीराम ने उनकी बात सुनी और मंद-मंद मुस्कुरा उठे.

मन ही मन बोले; “शठ चाहता है कि सम्पूर्ण संसार शठ हो जाए और दुनियाँ महाशठबंधन में बंध जाए”

श्रीराम ने लक्ष्मण से कहा; “चलो अनुज, हम कर्ज़न पुल से गंगा पार करते हैं”




दावा त्याग – लेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं. आप उनको फेसबुक अथवा ट्विटर पर सम्पर्क कर सकते हैं

CA & Blogger @shivkmishr