हमारे लोकतंत्र में कमियां ढ़ूँढ़ने वालों की कोई कमी नहीं क्योंकि आसमान की भले ही एक हद हो पर नैराश्य की कोई सीमा नहीं होती. चुनावी घोषणा पत्रों व चुनाव प्रचार
हमारे लोकतंत्र में कमियां ढ़ूँढ़ने वालों की कोई कमी नहीं क्योंकि आसमान की भले ही एक हद हो पर नैराश्य की कोई सीमा नहीं होती. चुनावी घोषणा पत्रों व चुनाव प्रचार
यदि मूर्खता उपहास की विषयवस्तु होती तो उसे सेलिब्रेट करने के लिए एक दिवस निर्धारित नहीं किया जाता. दिवस भी कोई ऐसा वैसा नहीं बल्कि नये वित्तीय वर्ष का पहला
यदि आप ट्विटर पर हैं और यहाँ कई बार ट्रेंड करने वाले #सतपरकास को नहीं जानते तो आपका ट्विटरीय जीवन बिना सुकर्मों वाला मनुज तन धरने जैसा है. जितने फॉलोवर्स से लोग
दलों के बीच बढ़ती तल्खी से चिन्तित चुनाव आयोग ने रामलीला मैदान में सर्वदलीय होली मिलन समारोह आयोजित करने का अभिनव प्रयोग किया. रामलीला मैदान के पश्चिमी छोर पर पूरब
टीवी समाचारों के उन्माद से आहत एक एंकर भयंकर बार बार आह्वान करते हैं कि टीवी मत देखिए. यह उनलोगों के लिए यह प्रयोज्य नहीं है जो पहले ही टीवी
पंथ या विचार की सेवा करना सद्कर्म है, स्वयंसेवा के लिए प्रवृत्त होना पुण्य. पुण्य पथ पर निस्वार्थ प्रवृत्त रहना तो आज के युग की दुर्लभ उपलब्धियों में से एक
वर्षों पहले माइकल जैक्शन मुम्बई आए थे. आम जनों की छोड़िए, हमारे मुम्बईया सेलेब भी वैसे ही बावले हुए जा रहे थे जैसे उन्हे देखकर हमलोग पगलाते हैं. प्रत्यक्षदर्शियों के
स्कूली परीक्षाओं में गाय व डाकिया पर निबंध लिखने के लिए मैं ‘निबंध माला’ से रट्टा मारता था. लेखक बनने की नैसर्गिक प्रतिभा मुझमे कितनी थी, इसी से समझा जा
देशहित, दलहित या व्यक्ति हित में गठबंधन बनाने की स्वतंत्रता हर राजनीतिक दल को है. विरोधियों द्वारा उसे ‘ठगबंधन’ या ‘लठबंधन’ कहना अलोकतांत्रिक है. गठबंधन बनाने के पावन लोकतांत्रिक कृत्य
आठ पहरिया चैनल के एंकर भयंकर, अखबारों के स्थापित स्तंभकार व मूर्धन्य ट्विटकार पूरे साल के घटनाक्रम को हमारे सामने ‘गागर में सागर’ टैप परोसकर कैलेंडर से बेहतर यह बता