बदलते जमाने के साथ हमें भी बदलना चाहिए, यही समय की रीत है. कलि प्रथम चरण में ताबड़तोड़ ऐसे एसे बदलाव हुए कि लोग हैरान-परेशान सोचते रहे और आसपास द्रुत
बदलते जमाने के साथ हमें भी बदलना चाहिए, यही समय की रीत है. कलि प्रथम चरण में ताबड़तोड़ ऐसे एसे बदलाव हुए कि लोग हैरान-परेशान सोचते रहे और आसपास द्रुत
8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पूरे विश्व में धूम-धाम से मनाया जाता है. नारी के उत्कृष्ट कार्यों की सराहना हेतु अनेकानेक कार्यक्रम आयोजित होते हैं, जहाँ उनकी उपलब्धियों से
बचपन से ही मन में यह भ्रांति बन गयी थी कि कुंभ बस कहने को हिन्दुओं के लिये बेहद पुण्य स्नान है, पर यह तमाम तरह की बदइंतज़ामी और अराजकता
मायके की छूटती देहरी को बार-बार तकना हर याद नयन में लिए, नयन भर-भर आना ज़िक्र भर से ही नयनों का अल्हड़ हो जाना मोहक हैं यादें, नयनों को फिर
राधिका की तेज़ कर्कश आवाज़ से सब सहम गये. बड़ी उद्दंडता से एक लोहे के ट्रंक में चार जोड़ी धोतियाँ भरकर वह सामने पटक गई. पाँव पटकती हुई बोली कि
वक़्त के अजीब रंग बालपन से ही देखे थे उसने. जन्म के कुछ साल ही बीते थे कि माई चल बसी. भरा-पूरा संयुक्त परिवार था, बड़की माई ने उसे आँचल