छह महीने भी नहीं हुए थे नई बहू को, घर की हर बात उसे समझ आ गयी थी. धीरे धीरे घर में होने वाले हर निर्णय में उसकी राय भी ली
छह महीने भी नहीं हुए थे नई बहू को, घर की हर बात उसे समझ आ गयी थी. धीरे धीरे घर में होने वाले हर निर्णय में उसकी राय भी ली
… गतांक से आगे कुछ देर में मन को दृढ करते हुए, दोनों आखों से बहते आंसुओं को अपने स्लीवलेस टॉप से पोंछने की नाकाम कोशिश करते हुए उसने बहुत
कहने को तो वह धीर को दस साल से जानती थी, लेकिन जब तक एक ही क्लास में थे तब तक तो सामान्य बातचीत भी नहीं थी. एक दिन दोनों