साध्वी प्रज्ञा को आज भाजपा से भोपाल का टिकट मिला है. कहने बताने को बहुत कुछ है लेकिन अभी सिर्फ एक मुद्दे पर बात करेंगे और वह है चुनावों में विनेबिलिटी क्राइटेरिया की. वो विनेबिलिटी क्राइटेरिया जिस पर इस समय विभिन्न पार्टियां भरोसा करने के मूड में नजर आती हैं.
कहने को तो कहा जा सकता है कि साध्वी प्रज्ञा के ऊपर मालेगांव बम धमाके के आरोप लगे थे लेकिन सिक्के का दूसरा पहलू यह भी है कि उनको अदालत द्वारा बाइज्जत बरी भी किया जा चुका है. लेकिन साध्वी प्रज्ञा के सामने कौन खड़ा है या इस चुनाव को और दिलचस्प बना देता है.
मध्य प्रदेश के अंदर भारतीय जनता पार्टी का कांग्रेस से सीधा मुकाबला है. कांग्रेस की तरफ से मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और किसी जमाने में राहुल गांधी के गुरु रहे दिग्विजय सिंह खड़े हैं. दिग्विजय सिंह को भोपाल से कांग्रेस पार्टी ने टिकट थमाया है. दिग्विजय सिंह और साध्वी प्रज्ञा के बीच में 36 का आंकड़ा कोई भूल नहीं सकता.
26/11 हमले के समय दिग्विजय सिंह ने ’26/11 हमला : आरएसएस की साजिश’ नामक एक किताब लिखी थी. उसी एक किताब को आधार बनाकर हिंदू आतंकवाद जैसे एक बेहद ही काल्पनिक शब्द को गढ़ा गया था.
यह कहने में कोई दो राय नहीं होगी कि इससे देश की बहुसंख्यक आबादी का भीषण अपमान हुआ था, परंतु तब से लेकर अब तक गंगा में बहुत पानी बह चुका है. जिस साध्वी प्रज्ञा के आधार पर हिंदू आतंकवाद जैसे शब्द को उछाला जा रहा था, वही साध्वी प्रज्ञा अब दिग्विजय सिंह के सामने एक कैंडिडेट की तरह खड़ी हैं. मध्य प्रदेश की वह आबादी जहां 90% हिंदू हैं, वैसे इलाके में एक हिंदूवादी विचारधारा की कैंडिडेट निश्चित रूप से दिग्विजय सिंह के लिए भारी पड़ेगी.
साध्वी प्रज्ञा हर जगह यह बताती रहती हैं कि कारावास के दौरान किस प्रकार उनको प्रताड़ित किया गया. महिला छोड़िये, एक जीव की तरह भी उनको नहीं समझा गया. तब सरकार में कांग्रेस थी. केंद्र का पूरा दबदबा देखने को मिला था. यही बात देश के अंदर जब सामने आई, तब से ले कर आज तक कांग्रेस के प्रति हिंदुओं के एक वर्ग में गुस्सा देखा गया है.
मध्य प्रदेश में भले ही आज कांग्रेस की सरकार हो, लेकिन एक सत्य यह है कि सरकार बने अभी ज़्यादा समय नहीं हुआ है. कांग्रेस को वादा खिलाफी करने वाला कहा जा रहा है. कहीं तो उसके द्वारा कहे गए वादे पहुंचे भी नहीं है.
जनता में एक गुस्सा स्पष्ट दिखता है. इन सबसे पार पा भी लिया तो जो नाम सामने खड़ा है, वो नरेंद्र मोदी है. देखते हैं कि जनेऊधारी राहुल की पार्टी किस प्रकार से भगवाधारी साध्वी के सामने जीतने की योजना बनाती है.
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