देश की सुरक्षा में लगे सैनिकों का राष्ट्र से सवाल

देश के कुछ नेताओं को भले ही सेना की फिक्र हो या न हो लेकिन देश की सेना को हमेशा देश की रक्षा की फिक्र रहती है. यही कारण है कि देश के अंदर देश की तीनो सेनाएं स्वयं को तैयार करने के लिए हर सम्भव प्रयास में रहती है. यहां किसी प्रकार की चूक देश में सभी के लिए घातक होगा. लेकिन कल देश के वायु सेनाध्यक्ष बी एस धनोआ ने जो कहा वो हम सभी को एक गहरी सोच में डाल देता है.

धनोआ ने कहा कि यदि हमारे पास राफेल होता तो हम पाकिस्तानी घुसपैठी जहाज़ों को और कड़ा सबक सिखाते. यह सुन कर शर्म भी आती है, और देश की राजनैतिक बिरादरी पर गुस्सा भी आता है. एक कृतज्ञ राष्ट्र अपने देश के लिए जान की बाज़ी लगा देने वाले सैनिकों को  बेहतर तकनीक और हथियार नहीं दे पा रहा है. यह हमारे लिए शर्म की बात है.

दूसरी ओर हमारे देश के नेताओं में 10 साल तक ऐसी तकनीक को सेना से दूर रखा. ऐसा भी नही है कि देश की स्थिति कुछ ज़्यादा ही कमज़ोर थी. और यदि थी भी तो इसमें देश की पूर्व सरकारों का योगदान है क्योंकि तत्कालीन सरकारों को देश की जनता ने समर्थन दिया था. भ्रष्टाचार और आतंकवाद का दंश हम पर वैसे ही लगता रहा है.

धनोआ का यह बयान हमारे लिए गंभीर मंत्रणा का संदेश दे गया. आखिर हमने अपने देश के राजनेताओं को चुनने में कहां चूक कर दी. देश में कुछ लोगों के व्यक्तिगत स्वार्थ के लिए चुनी हुई गलत सरकार ने देश की राजनैतिक बिरादरी को तो मज़बूत कर दिया लेकिन देश की सेना को 10 साल तक आधुनिक हथियारों से दूर रखा.

इसमें कहीं न कहीं हम ज़िम्मेदार हैं. हमारे द्वारा एक गलत वोट ने देश की रक्षा में लगे सैनिकों को असुरक्षित रखा. आज भी जब राफेल देश में आ रहा है तब भी राजनैतिक बिरादरी में एक तबका इस पर कलंक लगाना चाहता है. इस दुर्भाग्यपूर्ण राजनीति ने देश को और पीछे धकेलने का कार्य किया है. 

याद रखें कि देश के अंदर इस समय एक बहुत अजीब बहस चल रही है. संविधान बचाने का कार्य करने को बोला जा रहा है. संविधान का अस्तित्व तभी तक है जब तक देश का अस्तित्व है. देश का अस्तित्व सेना पर निर्भर करता है. धनोआ के बयान को भाजपा प्रयोजीत बताने का भी प्रयास किया जा रहा है. इनमें से अधिकतर वो हैं जिनके नेता को सुप्रीम कोर्ट द्वारा झूठ फैलाने के लिए नोटिस मिला है. देश की जनता को ऐसे लोगों को चिन्हित करने की आवश्यकता है. आखिरकार इस राष्ट्र के प्रति आपकी भी जिम्मेदारियां हैं. संविधान खुद की रक्षा करना जानता है, बस जो खुद की पार्टी की सुरक्षा नहीं कर पा रहे हैं उनका ही शोर हमें सुनाई दे रहा.