जब फागुन कपार पर सवार है और देश-दुनिया में वेलेंटाइन का खुमार .. बुढ्ढों में इश्क और जवानों में प्रेम का बुखार है, ठीक उसी समय हमारी काशी सज-संवरकर तैयार
जब फागुन कपार पर सवार है और देश-दुनिया में वेलेंटाइन का खुमार .. बुढ्ढों में इश्क और जवानों में प्रेम का बुखार है, ठीक उसी समय हमारी काशी सज-संवरकर तैयार
बनारस के चौबेपुर इलाके का छोटा सा तोफापुर गाँव जहाँ कभी पिता श्याम नारायण यादव ने इस आस में अपना खेत गिरवी रख दिया था कि एक दिन बेटा रमेश
हे पिंगल, पाणिनि, कल्हण और अभिनव गुप्त की संतानों, भरत, क्षेमेंद्र और आनंद वर्द्धन के वंशजों! विडम्बना है कि तुम्हारे पूर्वजों ने ही समूची दुनिया को पहली बार बताया था