“झुट्ठे राहुल गांधी हाज़िर हो!” : सुप्रीम कोर्ट

जब ज्ञान की धारा ज्ञानी के अंदर से प्रवाहित होती है तो उसको हम सहर्ष स्वीकार करते हैं. जब मूर्ख के मुख से निकलती है तो हम आश्चर्य में पड़ते हैं. परंतु जब ऐसे मूर्ख के मुख से निकले जिसको यह बताया जाता हो कि वो बहुत ज्ञानी है, तो खेल वहां बिगड़ जाता है. राफेल की बात करते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने पहले बोला कि राफेल को ले कर उसे सरकार पर कोई संदेह नहीं है. अब इसको क्लीन चिट ही माना जाता है. वैसे भी SC किसी पार्टी या किसी सरकार की तो है नहीं. जो तथ्य रखे गए, वैसे ही बताया गया.

अब कुछ दिन पहले सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वो उन दस्तावेज़ों को भी देखना चाहती है जिसको सरकार ने ‘सीक्रेट’ रखा हुआ है. वैसे सरकार को SC पर और SC को देश की सरकार पर भरोसा है. वैसे भी दोनों ही संविधान की मर्यादाओं में आते हैं. लेकिन कुछ लोग हैं जिनके लिए अभी भी परिवार संविधान से ऊपर आता है. कहो तो छाती ठोक ये भी बता दें कि हमने आज़ादी दिलाई. वैसे गाहे बगाहे वो यह बताते ही रहते हैं. इस एक निर्णय पर थोड़ी ही दूर दिल्ली में बैठे कांग्रेस दफ्तर में कुछ अलग ही प्रतिक्रिया आई. तकनीकी खामी आ गयी ऐसा कहा जा सकता है. नहीं तो सुप्रीम कोर्ट की तरफ से जो कहा गया, उसके अर्थ का अनर्थ न किया जाता. जैसे कॉपी पर लिखा हुआ अंक 6 लिखने वाले को तो वही नज़र आता है, लेकिन दूसरी तरफ बैठे हुए आदमी को 9 दिखाई पड़ता है. दोनों ही अपनी जगह सही है, लेकिन जब उसी 9 को 90 कहा जाने लगे तब दिक्कत आती है.

राहुल गांधी ने लोगों को यह बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने मान लिया है कि राफेल में घोटाला हुआ है. जबकि सुप्रीम कोर्ट ने डील को ले कर कोई बात कही ही नहीं. वो तो अभी दस्तावेज़ों की सत्यता ही जांच रही है. उधर कांग्रेस का पूरा इकोसिस्टम यही बात दोहराने लगा. मानो शरीर की पांचों इंद्रियां जैसे काम नहीं करती.

अब इसी बात पर सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी से जवाब मांगा है. मीनाक्षी लेखी द्वारा दायर किये केस में सुप्रीम कोर्ट ने संज्ञान लिया है. पूछा कि बताओ भाई जब हमने ऐसा कहा ही नहीं तो तुमको ये कहाँ से सुनाई दिया. ये भी बताओ कि इसके पीछे के तथ्य क्या हैं. अब देखी हुई मक्खी सुप्रीम कोर्ट से तो निगली नहीं जाएगी. अब 10 जनपथ वाले लगे हुए हैं जवाब ढूंढने में. कहने का मतलब यह है कि उनको इस समय बस ये दिख रहा है कि किसी प्रकार से बरईया के छत्ते से राहुल गांधी को बचाया जाए. वकीलों की फौज तो हइये. विड़म्बना ये है कि अभी भी राहुल गांधी चौकीदार वाली गाली देकर सुप्रीम कोर्ट का हवाला दे रहे हैं. मतलब आदमी अभी भी उसी छत्ते में उंगली करने में लगा हुआ है.

देश की संवैधानिक संस्थाओं पर तो वैसे भी इस समय कांग्रेस की नज़र टेढ़ी चल रही है. अधिकारियों को पहिले की लतड़िया दिया है कि सरकार में आएंगे तो हाज़िरी लगेगी, बराबर लगेगी! EVM और चुनाव आयोग पर तो वैसे ही सिर फुटव्वल चल रही. अब सुप्रीम कोर्ट को हल्के में लेने की गलती लगता है कि कांग्रेस को भारी पड़ने वाली है. इंतज़ार रहेगा कि राहुल जी जवाब क्या देते हैं. और उधर से भाजपा तो खड़ी है कि इस फुल टॉस पर कम से कम ‘300’ सीटों वाला सिक्स मारेंगे.

1 Comment

  1. Jan
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