असहिष्णुता ब्रिगेड की राष्ट्रवाद विरोधी खीझ

देश में एक विचारधारा ऐसी भी चल रही है जो सब मर्यादाओं को भूल चुकी है. जिसने सबको यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि राजनैतिक क्षेत्र में क्या एक व्यक्ति का समर्थन करना दूसरे लोगों को अपनी सभी सीमाओं को तोड़ने पर मजबूर कर देता है? शायद आज ऐसा ही हो रहा है.

अपने मेजर जनरल जी.डी. बक्शी का नाम तो सुना ही होगा. वह टीवी चैनलों पर सेना की तरफ से अपनी राय रखने के लिए जाने जाते हैं. उनकी कुछ बातें देश के लिबरल लोगों को पसंद नहीं आती है. शायद इसलिए क्योंकि एक सीमा के बाद एक सैनिक होने के नाते उनका राष्ट्रवाद उबाल मारने लग जाता है. राष्ट्रवाद एक ऐसा शब्द है जिससे हमारे देश के लिबरल कुछ ज़्यादा इत्तेफाक नहीं रखते. शायद इसलिए भी क्योंकि वो गोली का जवाब गुलाब से देना चाहते हैं. प्रैक्टिकल दुनिया में तो ये पॉसिबल नहीं है. लेकिन वो ऐसा करना चाहते हैं. यही कारण है कि उनकी और एक रिटायर्ड फौजी की आपस में ज़्यादा बनती नहीं. लेकिन फिर भी वो जी. डी. बक्शी को किसी न किसी सिर पर नीचा दिखाने का प्रयास करते रहते हैं. अफसोस कि वो ऐसा कर नहीं पाए.

अब ट्विटर पर एक तथाकथित पत्रकार रोहिणी सिंह द्वारा एक ट्वीट किया गया. उन्होंने यह ट्वीट जनरल जी.डी. बक्शी के संदर्भ में किया. दरअसल एयर विस्तार जो एक एयरलाइन कंपनी है, उसने अपने जहाज़ में जी.डी. बक्शी की मौजूदगी को गौरवांवित करने वाला क्षण समझा. उसको उन्होंने ट्विटर पर साझा करते हुए बताया कि कैसे एयर विस्तार बक्शी को अपने जहाज़ में देख कर गर्व से फूला नहीं समा रहा है. बस यही बात रोहिणी सिंह को अखर गयी. रोहिणी ने एयर विस्तार को जानकारी देने के लिए धन्यवाद कहा. इनके साथ ही उन्होंने कहा कि अब आए वो इंडिगो की एयरलाइन्स में सफर करेंगी. यह एक व्यक्ति की दूसरे व्यक्ति के लिए घृणा की सीमा थी.

रोहिणी सिंह किस एयरलाइन्स से सफर करें ये उनका अपना विषय है. वह चाहें तो अपनी प्राइवेट गाड़ी में भी सफर कर सकती हैं. पैसे की तो कोई कमी है नहीं उनको यह स्पष्ट है. लेकिन जिस संदर्भ में उन्होंने यह कहा, उससे हमें ऐतराज है. बहुत से लोगों को इससे ऐतराज है.

विडंबना यह है कि रोहिणी सिंह असहिष्णुता ब्रिगेड की एक सिपाही हैं. उनका भी यही मत रहा है कि मोदी के कार्यकाल में देश में असहिष्णुता बढ़ गयी है.लेकिन उनका ऐसा व्यवहार उसी एक मूल उद्देश्य को मुंह चिढ़ाता है जिसके लिए वह खड़ी हुई थी. जब एक एक व्यक्ति द्वारा जो देश की सेना में सैनिक रह चुका है. अपनी सेवाएं दे चुका है. वैसे व्यक्ति के लिए ऐसी घृणा को प्रदर्शित करना उनकी खीझ को ही दर्शाता है.

कभी जीवन में ऐसा मौका आये जब देश के लिए कुछ करना हो, और आपके सामने एक ऐसा व्यक्ति हो जिससे कुछ मतभेद हो, फिर भी देशहित के लिए उन मतभेदों को किनारे रख कार्य करना चाहिए. यहाँ खुद को एक न्यूट्रल जर्नलिस्ट बताने वालों को इतनी छोटी बातें भी समझ में नहीं आती, तो उनसे और क्या उम्मीद कर सकते हैं. बाकी रोहिणी जी के भविष्य के लिए शुभकामनाएं. आशा करते हैं कि वह खुद के अंदर इन बातों को सुधरेंगी. नहीं भी किया तब भी देश के पास जी. डी. बक्शी जैसे लाखों सैनिक हैं जो किसी न किसी एयरलाइन्स में उनके सफर को ऐसे ही बाधित करते रहेंगे.