साध्वी प्रज्ञा को आज भाजपा से भोपाल का टिकट मिला है. कहने बताने को बहुत कुछ है लेकिन अभी सिर्फ एक मुद्दे पर बात करेंगे और वह है चुनावों में
साध्वी प्रज्ञा को आज भाजपा से भोपाल का टिकट मिला है. कहने बताने को बहुत कुछ है लेकिन अभी सिर्फ एक मुद्दे पर बात करेंगे और वह है चुनावों में
कांग्रेस की रैलियों में कम होती भीड़ को चाहे कितना ही IT सेल वाले फोटोशॉप कर सच छुपाने की कोशिश करें पर सच को कब तक छुपा सकते हैं. पिछले
पेरिस के प्रसिद्ध चर्च नौत्रे-डैम में कल आग लग गयी. 900 साल पुराने इस चर्च में आग लगने के बाद बहुत से लोगों को दुख हो रहा है. होना भी
बीजेपी पर हमेशा ही हर चुनाव के पहले ध्रुवीकरण का आरोप लगाया जाता है. भले ही हर सभा में विपक्षी पार्टियाँ खुलेआम मुस्लिम और ईसाइयों को भड़काऐं कि अगर आप
“छोड़ सियार भाई कुल्हड़ के आसा, तमासा बन जाइब, होइहे निरासा…” भोजपुरिया गीत है. मनोज तिवारी का गाया हुआ. लेकिन हम यहां इन गाने की बात क्यों कर रहे हैं.
चुनाव में सेना का इस्तेमाल होने पर पूर्व सैनिकों की शिकायत की एक चिट्ठी सामने आई थी, जिस पर विवाद शुरू हो गया है। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया
जब ज्ञान की धारा ज्ञानी के अंदर से प्रवाहित होती है तो उसको हम सहर्ष स्वीकार करते हैं. जब मूर्ख के मुख से निकलती है तो हम आश्चर्य में पड़ते
राजनैतिक मर्यादाओं को ताक कर रखकर राजनेता अपने वोट बैंक को कैसे एड्रेस करते हैं यह किसी से छिपा हुआ नहीं है, लेकिन कल जो आज़म खान ने रामपुर की
दोस्तों, इकोलॉजी में ‘कंपीटिटिव एक्सक्लूशन प्रिंसिपल’ नामक एक अवधारणा है. सिद्धांत यह है कि एक ही संसाधन के लिए प्रतिस्पर्धा करने वाले दो जीव दीर्घकालिक समय के लिए सह-अस्तित्व में नहीं रह सकते.
देश में बेरोजगारी बढ़ती जा रही है. हालात इतने बुरे हो गए हैं कि एक बेरोजगार युवक साल में मात्र 2 लाख रुपये ही कमा पता है. हां, सही पढ़ा